राधा कृष्ण के साथ जमकर खेली गई फूलों की होली


राधा कृष्ण के साथ जमकर खेली गई फूलों की होली
कथा के आठवे दिन शुक्रवार को होने वाली कथा के साथ भंडारा प्रसादी का हुआ आयोजन

बैतूल। ग्राम रोंढा में श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह में सातवे दिन की कथा सुनाते हुए श्रीधाम वृन्दावन के कथावाचक प्रदीप कृष्ण जी महाराज ने भगवान की बाल लीलाओं और सुदामा चरित्र का विस्तृत संगीतमय वर्णन किया। गोपी गीत की व्याख्या और भगवान श्री कृष्ण की मथुरा गमन का मार्मिक चित्रण किया।

कथावाचक प्रदीप कृष्ण जी महाराज ने बताया प्रेम रहित हृदय से भक्ति संभव नही। कंस वध की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान को जो जिस भाव से भजता है भगवान् वैसे ही रूप को धारण कर लेते है। रासलीला, जीवात्मा का परमात्मा से संयोग तथा पूर्ण कृपा प्राप्त करना ही रासलीला का उद्देश्य रहा। ब्रह्म और जीव का मिलन ही रास है, जो माया के आवरण से रहित शुद्ध है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच हुए रासलीला से आत्मा से परमात्मा का मिलन हुआ है। ये सांसारिक मिलन नहीं बल्कि आत्मा व परमात्मा के बीच का मिलन है।

कथावाचक प्रदीप कृष्ण जी महाराज ने कहा कि संकीर्ण मानसिकता से भगवान कृष्ण की लीलाये समझना असंभव है। इसके लिए मन की निर्मलता और हृदय में भक्ति होना आवश्यक है। कथावाचक ने बताया कि भौमासुर के पास बंदी बनाई गई सोलह हजार कन्याओं की समाज मे सम्मान बनाये रखने के उद्देश्य से भगवान ने उन सभी सोलह हजार कन्याओं से विवाह किया। इसके पश्चात उद्धव चरित्र का मार्मिक चित्रण करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि भक्ति प्रेम की पराकाष्ठा है परमात्मा को ज्ञान के द्वारा जाना जा सकता है किंतु यदि परमात्मा को पाना है तो एक मात्र साधन प्रेम ही है नारद भक्ति सूत्र में तो नारद जी ने भक्ति को प्रेम की पराकाष्ठा बताया है । इसके पश्चात के रुक्मणि मंगल का सुंदर वर्णन आचार्य श्री ने किया। इसके पश्चात आचार्य श्री ने रुक्मणी मंगल का सुन्दर विस्तार किया कथा स्थल पर सभी श्रोताओं ने भक्ति भाव पूर्वक भगवान राधा कृष्ण के साथ फूलों की होली का जमकर उत्सव मनाया।

Leave a comment